क्या नाभि में तेल डालने से खत्म हो जाती है डायबिटीज जैसी कई अन्य बीमारियां? पढ़ें सच

सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें एक व्यक्ति एक नाभि तेल का प्रमोशन करता हुआ दिखाई दे रहा है. वीडियो में यह भी दावा किया जा रहा है कि नाभि में तेल को डालने और मालिश करने से हार्ट और डायबिटिज जैसे रोग ख़त्म हो जाते हैं.

वायरल वीडियो में श्री साईं राम नाभि तेलम नाम के तेल का प्रमोशन किया जा रहा है. इस दौरान वीडियो में मौजूद कुछ लोगों द्वारा यह दावा भी किया जा रहा है कि नाभि तेल का प्रयोग करने की वजह से उनकी सुगर और हार्ट से संबंधित बीमारियां ठीक हो गई.


Courtesy: FB/sai ram

Fact Check/Verification

Newschecker ने वायरल दावे की पड़ताल शुरू की तो पता चला कि नाभि में गर्म तेल डालने और मालिश करने की प्रथा वास्तव में सदियों पुरानी एक आयुर्वेदिक प्रथा है जिसे पेचोटी विधि कहा जाता है. 

इस संबंध में हमें टाइम्स ऑफ़ इंडिया पर प्रकाशित एक रिपोर्ट भी मिली. जिसमें बताया गया था कि “नाभि के केंद्र का भौतिक और आध्यात्मिक महत्व है. जीवनदायी नाल का प्रवेश द्वार नाभि में 72,000 नसों का केंद्र बिंदु मौजूद है. इसमें तेल मालिश करने से कई तंत्रिकाएं सुचारू रूप से चलती हैं, जो बीमारियों को दूर करने और शरीर को ठीक रखने में सहायता करती है.

इस सिद्धांत के अनुसार, नाभि में या नाभि के पीछे ‘पेचोटी ग्लैंड’ नामक एक ग्रंथि होती है, जिसे तेल से मालिश करके सक्रिय किया जा सकता है. हालांकि, कई मेडिकल रिसर्च में यह भी कहा गया है कि नाभि में तेल डालने से कोई ख़ास लाभ नहीं होता है.

पड़ताल करने पर हमें ऑस्ट्रेलियन एसोसिएटेड प्रेस और कई अन्य मीडिया आउटलेट पर भी प्रकाशित रिपोर्ट्स मिलीं, जिनमें इस दावे का खंडन किया गया था कि ‘पेचोटी ग्लैंड’ नामक एक ग्रंथि को मालिश करने से कई सारी बीमारियां ठीक होती हैं.

जांच में ही हमें प्रतिष्ठित जॉन होपकिंस मेडिसिन की वेबसाइट पर प्रकाशित रिपोर्ट मिली, जिसमें यह लिखा हुआ था कि अभी तक प्रयाप्त साक्ष्य मौजूद नहीं हैं, जिससे यह सिद्ध हो सके कि किसी तरह के तेल के प्रयोग से ये सारी बीमारियां ठीक हो सकती हैं.  

इसके अलावा, हमें मेडिकल न्यूज टुडे की वेबसाइट पर भी प्रकाशित रिपोर्ट मिली, जिसमें यह बताया गया था कि “इसका ज़िक्र करना महत्वपूर्ण है कि कई लोग उच्च रक्तचाप या उच्च रक्तचाप के इलाज के लिए तेलों का उपयोग करते हैं, लेकिन रक्तचाप को कम करने में उनकी प्रभावशीलता का समर्थन करने के लिए बहुत कम सबूत मौजूद हैं. इसलिए लोगों को निर्धारित दवा के बदले में इन तेलों का उपयोग नहीं करना चाहिए”.

इसके अलावा, इसी वेबसाइट पर मौजूद एक अन्य रिपोर्ट में यह भी लिखा हुआ था कि “यह रिपोर्ट सुझाव देता है कि इस तरह के तेल मधुमेह से पीड़ित लोगों के लिए उनके नियमित उपचार में कुछ संभावित लाभ प्रदान कर सकते हैं. हालाँकि किसी शोध ने अभी तक इसकी पुष्टि नहीं की है कि कोई भी तेल प्रभावी रूप से मधुमेह का इलाज करता है.

जांच के दौरान हमने भारत सरकार के अंतर्गत आने वाले सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन होम्योपैथी के वैज्ञानिक सलाहकार समिति के सदस्य डॉ रथिन चक्रवर्ती से संपर्क किया। उन्होंने बताया कि “पारंपरिक चिकित्सा विज्ञान ऐसे दूरदर्शी दावे नहीं करता है, और न ही एलोपैथिक और न ही होम्योपैथिक उपचार ने अभी तक इन बीमारियों का कोई ‘इलाज’ पेश किया है”.

हमने सेन्ट्रल आयुर्वेदिक रिसर्च इंस्टीट्यूट के पूर्व निदेशक डॉ जयराम हाजरा से भी संपर्क किया. उन्होंने बताया कि “आयुर्वेद भी विज्ञान है, लेकिन वह ऐसे दावों का समर्थन नहीं करता. हो सकता है कि कोई खास आयुर्वेदिक औषधीय तेल लगाने से त्वचा संबंधी कुछ समस्याएं दूर हो जाएं, लेकिन इसे लंबे समय तक लगाना पड़ता है. हालांकि, आयुर्वेद में ऐसी कोई प्रथा नहीं है जहां केवल नाभि पर तेल लगाने से इतनी सारी बीमारियों का इलाज हो सके. अनेक धोखाधड़ी करने वाले संगठन लोगों के साथ विश्वासघात कर रहे हैं और पैसा कमा रहे हैं.

हमें एक अन्य डॉक्टर प्रेमानंद बसाक ने भी बताया कि “चिकित्सा विज्ञान से अधिक प्रभावशाली कुछ भी नहीं हो सकता है. सिर्फ नाभि पर तेल मालिश करने से शुगर, ब्लड प्रेशर, लीवर की बीमारी से कभी छुटकारा नहीं मिलेगा. इसके लिए आपको डॉक्टर की सलाह और उचित दवा लेनी होगी”.   

Conclusion

इसलिए हमारी जांच में मिले साक्ष्यों से यह स्पष्ट है कि इस बात का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं हैं कि किसी भी प्रकार का तेल नाभि में डालने और मालिश करने से डायबिटीज और कई बीमारियों का खात्मा हो जाता है.

Result: False

Our Sources
Article published in Times of India
Article published in Australian Associated Press
Article published inJohns Hopkins Medicine
Article published in  The Tribune
Article published inMedical News Today
Telephonic conversation With Dr Rathin Chakravarty, Dr Joyram Hazra and Dr Premananda Basak. 

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